Wednesday, June 13, 2018

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कैसे करे जाने हिंदी में Competition Exam Preparation


प्रतियोगी परीक्षा में कैसे सफलता पाए

How To Prepare Competition Exam in Hindi / Competition Exam Ki Taiyari Kaise Kare

आज के ज़माने में हर कोई पढ़ लिख कर अच्छी सी नौकरी और जॉब पाना चाहता है लेकिन बढती जनसख्या और सिमित मात्रा में नौकरी के अवसरों को देखते हुए नौकरी पाना इतना आसान भी नही है जितना की हम सब समझते है



फिर भी यदि हमने मन में ठान लिया है और हमारे इरादे पक्के हो तो अपने मनचाही क्षेत्र में नौकरी या जॉब पाना उतना कठिन भी नही है बस इसके लिए हमे अच्छे से पढाई और परीक्षा के अनुसार इसकी तैयारी करना आवश्यक होता है

तो अगर हम एक प्लानिंग के अनुसार प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करे तो निश्चित ही हम परीक्षा में सफल हो सकते है तो आईये जानते है कुछ ऐसे ही अच्छे टिप्स जो की हमारे परीक्षा में सहायक हो.

पढाई के साथ आगे की सोच / Higher Thinking Study 

जब हम अपने स्कूल, कॉलेज में पढ़ते है तो हमे अपनी पढाई को हमेशा आगे को ध्यान में रखकर करना चाहिए अक्सर देखा जाता है बहुत से विद्यार्थी अपनी पढाई तो पूरे साल तो मन लगाकर करते है और अपने परीक्षा में अच्छे मार्क्स से पास भी होते है लेकिन जैसे ही अगले क्लास में पहुचते है तो पिछले साल की पढाई पूरी तरह भूल जाते है

ऐसा इसलिए होता है की हमारे  दिमाग में यह बात सेट हो जाती है की हमे अपने परीक्षा में कैसे भी अच्छे नंबर लाना है जिसके लिए हम तो मेहनत भी करते है लेकिन हमारे दिमाग में यह बात तनिक भी नही होती है की अभी हम जो पढ़ रहे है वो प्रतियोगी परीक्षा में भी पूछी जा सकती है



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इसलिए हम जो कुछ भी अपनी पढाई करे उसे अपने Carreer को ध्यान में रखकर पढना चाहिए क्यू की प्रतियोगी परीक्षाओ में जो प्रश्न पूछे जाते है वो कही से भी हो सकते है और यदि ऐसा करने में हम सफल होते है तो निश्चित ही प्रतियोगी परीक्षाओ में हमे आसानी होगी

पढाई के साथ साथ प्रतियोगी परीक्षा देना / Study and Competition Exam 

मान लीजिये हमे किसी रेलवे, लोक सेवा आयोग या अन्य विभागों में अपना Carreer बनाना है तो जब हमारी आयु इन परीक्षाओ के अहर्ता के अनुसार हो जाए तो हमे अपने पढाई के साथ साथ इन परीक्षाओ के लिए अप्लाई करते रहना चाहिए और साथ में परीक्षा भी देते रहना चाहिए क्यूकी ऐसा करने से हमे अपने पढाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओ का अनुभव भी मिलता रहेगा फिर अपनी पूरी पढाई पूरी करने के बाद फुल तैयारी के साथ इन प्रतियोगी परीक्षाओ में खरे उतर सकते है

अतिरिक्त ज्ञान  / Extra Knowldge 

किसी भी चीज में जब हमे अतिरिक्त जानकारी होती है तो उसका हमे ही फायदा मिलता है इसलिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में General Knowldge यानी सामान्य ज्ञान का होना बहुत मायने रखता है क्यू की हर प्रतियोगी परीक्षाओ में General Knowldge का Question पूछा जाता है और General Knowldge एक ऐसी चीज है हम चाहे जितना भी इसकी तैयारी कर ले कम ही रहता है सो हमे General Knowldge की तैयारी के लिए रोज समाचार पत्र और Tv News देखना बहुत जरुरी होता है

कोचिंग क्लास में प्रवेश लेना / Coaching Class Join Krna 

किसी भी Competition Exam में सफलता के लिए कोचिंग क्लास में प्रवेश लेंना बहुत ही आवश्यक होता है हम अपनी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए खूब पढ़ते भी और इसके लिए रात दिन एक भी कर देते है लेकिन जैसा की कहा भी गया है की किसी भी कठिन रास्ते से गुजरने के लिए पथ प्रदर्शक की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार Competition Exam को निकालने के लिए किसी Adviser की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए हमे किसी अच्छे संश्थान में प्रवेश लेना चाहिए और फिर एक लक्ष्य बनाकर पढाई करना चाहिए

कठिन मेहनत / Hardworking 

किसी भी चीज में सफलता पाने के मेहनत की आवश्यकता होती है और जब बात अपने जीवन से जुडी Carreer का हो तब मेहनत और परिश्रम का महत्व और अधिक बढ़ जाता है आज के तारीख में Competition Exam इतना कठिन हो गया है की हर कोई इसे आसानी से पास नही कर पाता है लेकिन हमे इसके डर से घबराना भी नही चाहिए क्यूकी घबराने से बने काम भी बिगड़ जाते है इसलिए हम सभी को प्रतियोगी परीक्षाओ को पास करने के लिए सबसे पहले एक अच्छे से प्लानिंग बनानी चाहिए फिर Competition Exam को पास करने का लक्ष्य बनाकर इसके लिए दिन रात अपना सारा ध्यान पढाई और अपने Carreer पर लगाना चाहिए क्यू की बिना अपने Mind को केन्द्रित किये बिना हम कुछ भी हासिल नही कर सकते है

परीक्षा में टॉप करने के लिए दस बेहतरीन तरीके

और हो सकता है हमें पहली बार में सफलता न मिले तो बहुत से लोग इसके आगे फिर से प्रयास करना छोड़ देते है तो हमे ऐसा नही करना चाहिए क्यूकी कोई भी बड़ी सफलता बड़ी मेहनत और अनवरत प्रयास के बाद ही मिलती है इसलिए जैसा भी कहा भी गया है सफलता का मूलमंत्र है कठिन मेहनत और अनवरत प्रयास
समय का महत्व / Time Management 

जीवन में समय का बहुत बड़ा महत्व है एक बार जो समय बीत गया वो वापस लौटकर नही आता है अक्सर लोगो के मुह से यह कहते हुए सुना जाता है की हमारे पास उस वक़्त समय नही था या उस समय हम Competition Exam के लिए अपना वक़्त नही दे पाए वरना आज भी हम अच्छे जॉब में होते



ऐसा हमारे साथ न हो इसके लिए अपने अपने समय का महत्व समझते हुए पूरी तैयारी के साथ समय का सदुपयोग करना चाहिए और जब हम Competition Exam की तैयारी कर रहे हो तो निश्चित ही हमे टाइम टेबल बनाना चाहिए की हमे क्या पढना है कब Reasoning के लिए हमारा समय रहेगा कब General Knowldge के लिए, कब Maths के लिए और कब अन्य विषयों के लिए हमारा समय रहेगा.

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अगर हमने समय के साथ Time Management पर ध्यान देते अपनी परीक्षा तैयारी करे और Exam में पूरी तैयारी के साथ एग्जाम दे तो निश्चित ही हमे सकरात्मक परिणाम देखने को मिलेगा

परीक्षा तैयारी का स्तर हमेसा ऊचा रखना / High Level Exam Study Preparation 

यह बात किसी भी Competition Exam के लिए एकदम फिट बैठती है की यदि हम Competition Exam Question Level से उठकर उससे अधिक तैयारी करते है तो हमे Competition Exam में सफलता प्राप्त करने से कोई रोक नही सकता,

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सीधी सी बात है यदि हमे 100 KM की दुरी तय करना है तो सभी 100 KM से ज्यादा की एनर्जी स्टोर रखते है यानी हो सकता है की हमारी मंजिल हमारी सोच से दूर हो तो उसके लिए High Level Energy की आवश्यकता भी पड़ती है मान लीजिये हम अपना Carreer Railway Job में बनाना चाहते है तो हमे Competition Exam की तैयारी Railway Job से उठकर उससे अधिक कठिन Exam की तैयारी करे तो फिर Railway Job की Exam Question बहुत ही आसानी से हल कर सकते है इसलिए हमे अपना Competition Exam Level कभी भी ऊँचा रखना चाहिए

दिमाग पर नियंत्रण / Mind Control Setup 

Mind Control Setup एक ऐसा Concept है जिसका होना बहुत ही अनिवार्य है अक्सर देखा जाता है की यदि अपना कोई लक्ष्य निर्धारित किये है की हमे अपने जीवन में ये बनना है लेकिन आस पास के लोगो को हम जब देखते है कोई भी अपने Field में सफलता हासिल करता है तो हमे लगता है उसे पाना बहुत ही आसान है फिर अपना निर्धारित लक्ष्य को छोड़कर उस Field में जाने की कोशिश करने लगते है जिससे न तो हम अपना लक्ष्य हासिल कर पाते है और न ही दुसरो का देखकर जो Field में जाना चाहते है उसमे भी असफलता मिलती है

इसलिए हम जो कुछ भी हासिल करना चाहते है उसपर हमेसा खरा उतरने की कोशिश करना चाहिए क्यू की कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती है और जब हमारा लक्ष्य मजबूत होंगा तो सफलता हमे एक दिन निश्चित ही मिलेगी

Mind Control Setup का दूसरा पहलू यह भी है की हमारा हमारे दिमाग पर पूरा नियन्त्रण होना चाहिए क्यूकी हो सकता है जब हम प्रतियोगी परीक्षा देते है उसके Result के बाद हम असफलता प्राप्त करते है तो उस वक़्त हमारा दिमाग एकदम से बदल जाता है और हमे लगता है की हम इसमें सफलता नही प्राप्त कर सकते है वह वही वक़्त होता है जब हमारा दिमाग खुद से हार मान लेता है लेकिन अगर हमारे इरादे मजबूत हो तो हम निश्चित अपनी गलतियों से सबक लेते हुए अगली बार अच्छी रैंकिंग से प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है

धन से जुडी समस्या / Money Problem

अक्सर देखा जाता है हमारी पढाई पूरी होने के बाद हमारे साथ धन की सबसे बड़ी समस्या आती है जिसके चलते अगर हमारा आर्थिक स्थिति सही न हो तो हम Competition Exam में ज्यादा दिन तक वक्त नही दे पाते है और फिर हमे अपनी मनचाहा जॉब की इच्छा छोड़कर जल्दबाजी में कोई निर्णय लेना पड़ता है इस परिस्थिति से बचने के लिए हम अपने मनचाहे सब्जेक्ट से कोई कोचिंग ज्वाइन कर सकते है जहा पर हम अपना थोडा समय निकालकर बच्चो को पढ़ा भी सकते है और पढ़ाने से हमे थोड़ी बहुत आर्थिक मदद तो मिलत है साथ में उस विषय में हमारा अच्छे से Revision भी हो जाता है जो की हमारे Competition Exam के लिए Revision बहुत ही काम आ सकता है

इसलिए हमे अपने Carreer के लिए Part Time Job करना भी पढ़े तो हमे इससे पीछे नही हटना चाहिए, तो हम को अपने एग्जाम को एक लक्ष्य मानकर सुनियोजित तरीके से मन लगाकर तैयारी करे तो सफलता मिलनी निश्चित है

जैसा की कहा भी गया है –

ऊची उड़ान पंखो से नही हौसलों से पूरी की जाती है बस जरूरत है इन हौसलों को अपने आप में बनाए रखना .

तो आप सभी को Competition Exam के बारे में दी गयी जानकारी कैसा लगा प्लीज हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताये .


रेलवे ग्रुप डी की तैयारी कैसे करे Railway Group D Exam Taiyari Tips


आज के समय में हर कोई पढ़लिखकर अच्छी जॉब पाना चाहता है ऐसे में Indian Railway Job के लिए Railway Recruitment Board एक महत्वपूर्ण संस्थान का कार्य करता है जितनी भी रेलवे भर्ती की परीक्षा आयोजित किये जाते है वे सभी RRB (Railway Recruitment Board) के अंतर्गत ही आते है ऐसे में यदि आप रेलवे में भर्ती के Group-D के एग्जाम और उससे जुडी महत्वपूर्ण जानकारी पाना चाहते है तो यह रेलवे एग्जाम ग्रुप डी की तैयारी कैसे करे Railway Group D Vacancy Exam Preparation Tips आपके लिए काफी हेल्फुल हो सकता है



तो चलिए जानते है की कैसे रेलवे एग्जाम ग्रुप डी की तैयारी कर सकते है इसके लिए हमे किन किन बातो का ध्यान रखना जरुरी है

रेलवे ग्रुप डी एग्जाम भर्ती की तैयारी कैसे करे

Railway Group D ki Taiyari Kaise Kare

भारतीय रेलवे हमारे देश में सबसे ज्यादा नौकरी प्रदान करने वाला सबसे बड़ा प्रतिष्ठान है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है भारतीय रेलवे में 16 लाख से भी अधिक रेल कर्मचारी कार्यरत है जो भारतीय रेलवे को गति प्रदान करते है ऐसे में Indian Railway में कर्मचारी के काम के अनुसार अलग अलग ग्रुप बने हुए है जिन्हें जॉब की भर्ती के आधार पर 4 भागो में बाटा गया है जो इस प्रकार है

1 – Railway Group A

2 – Railway Group B

3 – Railway Group C

4 – Railway Group D

तो चलिए हम आज इस पोस्ट के जरिये Railway Group D की जॉब की भर्ती के लिए जरुरी जानकारी देते है

Railway Group D की तैयारी कैसे करे

रेलवे ग्रुप डी की भर्तिया वैसे तो सालभर चलती रहती है जिनमे कई सारे पोस्ट होते है जिनके लिए अलग परीक्षा के Syllabus और अलग अलग Education Qualification होते है तो चलिए पहले जानते है की Group D के लिए कौन कौन से पोस्ट होते है

Railway Group D Vacancy Details in Hindi

रेलवे ग्रुप के पोस्ट

वैसे इस ग्रुप से कई सारे पोस्ट होते है कुछ महत्वपूर्ण पोस्ट इस प्रकार है

1 – Trackman

2 – Gateman

3- Pointsman

4 – Helpers in Mechanical

5 – Helpers in Engineering

6 – Porters

7 – Gangman

8 – Fitter

9 – Cabinman

10 – Welder

रेलवे ग्रुप डी के लिए शैक्षिक योग्यता

Railway Group D Education Qualification Details in Hindi

जब हम किसी भी जॉब के लिए फॉर्म अप्लाई करते है तो उसके शैक्षिक योग्यता यानी Education Qualification बहुत ही महत्वपूर्ण होता है तो ऐसे में रेलवे ग्रुप डी के लिए शैक्षिक योग्यता विभिन्न पोस्ट के अनुसार 10+12 +Graduation पास के साथ आईटीआई होना जरुरी है यह शैक्षिक योग्यता अलग अलग पोस्ट के लिए अलग निर्धारित होती है

आयु सीमा (Age Limit)

जब भी आप कोई भी सरकारी जॉब के लिए फॉर्म भरने जाते है तो इसके लिए आयु भी निर्धारित होती है यानी रेलवे ग्रुप डी के लिए जब आप फॉर्म भरते है कम से कम आपकी आयु 18 वर्ष पूर्ण होनी चाहिए और अलग अलग पोस्ट के अनुसार अधिकतम आयु सीमा 32 वर्ष निर्धारित होती है और यह आयु सीमा जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कुछ वर्ष की छुट भी मिलती है जिसका डिटेल्स फॉर्म में दिया रहता है
रेलवे ग्रुप डी जॉब की चयन प्रक्रिया

Railway Group D Job Selection Procedure Details in Hindi

रेलवे ग्रुप डी के जॉब की चयन प्रक्रिया इस प्रकार 4 चरणों में होती है जो इस प्रकार है

1 – लिखित परीक्षा (Written Exam)

किसी भी जॉब की परीक्षा के लिए लिखित परीक्षा यह सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है किसी भी जॉब के लिए आप तभी सेलेक्ट हो सकते है यदि आप लिखित परीक्षा को मेरिट अंको के आधार पर सबसे नंबर लाते है तो आपको जॉब के Selection के लिए आगे के चरणों में भेजा जाता है

पढ़े : – Railway Group D 100 Question Answer Paper in Hindi रेलवे ग्रुप डी महत्वपूर्ण प्रश्न

2 – मेडिकल टेस्ट ( Medical Test)

किसी भी जॉब के लिए हेल्थ यानी अच्छे स्वास्थ्य का होना भी जरुरी है ऐसे में इस ग्रुप के जॉब के लिए भी मेडिकल टेस्ट लिया जाता है जिसके लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत भी पड़ती है

3 – प्रमाणपत्र सत्यापन (Certificate Verification)

जब आप लिखित और मेडिकल में सेलेक्ट हो जाते है तो फिर आपके सभी मांगे गये प्रमाणपत्र की सत्यापन की जांच किया जाता है

4 – मेरिट लिस्ट के आधार पर चयन (Merit List)

और फिर अंत में Highest Number के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाया जाता है जिसका सबसे अधिक नंबर होता है वह रेलवे के जॉब के लिए सेलेक्ट हो जाता है

पढ़े : – Railway Group D Question Paper in Hindi रेलवे ग्रुप डी एग्जाम क्वेश्चन पेपर

रेलवे जॉब ग्रुप डी के लिए अप्लाई कैसे कर सकते है

How to Apply Railway Group D Application Form Online In Hindi Details

रेलवे ग्रुप डी में जॉब के अप्लाई के लिए आपको इंडियन रेलवे के ऑफिसियल Website के Railway Recruitment Cell के जरिये आप Online Apply कर सकते है जिसकी सारी जानकारी आपको वहा दी जाएगी वैसे तो ऑनलाइन फॉर्म अप्लाई के लिए पासपोर्ट साइज़ फोटो, Signature Snap, Qualification Details और पेमेंट के लिए डेबिट या क्रेडिट कार्ड का होना जरुरी है इसके अतिरिक्त पेमेंट बैंक चालान के जरिये भी किया जा सकता है

रेलवे एग्जाम पेपर पैटर्न

Railway Group D Exam Paper Pattern details in Hindi

जब हम फॉर्म जॉब के लिए अप्लाई करते है तो उसके एग्जाम की तैयारी के बारे में जानना सबसे महत्वपूर्ण होता है ग्रुप डी के लिए एग्जाम पेपर अधिकतम 100 अंक के निर्धारित होते है जो की एक निश्चित अवधि में पूर्ण करना होता है



रेलवे ग्रुप डी में एग्जाम के लिए समान्य ज्ञान, अंकगणित योग्यता, सामान्य बुद्धि परिचय और सामान्य विज्ञान से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते है जिनके लिए निर्धारित प्रश्न और अंक होते है

ऐसे में सामान्य विज्ञान, भारत का भूगोल, कृषि से सम्बन्धित जानकारी, कंप्यूटर से रिलेटेड प्रश्न, सामान्य अंकगणित और तार्किक प्रश्नों (Reasoning) का गहन अध्ययन करना चाहिए

रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी कैसे करे

How to Prepare Railway Group D Exam in Hindi

चलिए अब हम रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी के लिए मेन पॉइंट पर आते है

1 – किसी भी परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है इसकी अच्छी जानकारी के लिए हमे उस पोस्ट के लिए ली गयी पिछले सालो के एग्जाम पेपर का अध्ययन करना चाहिए ऐसे में यदि हमे ये पेपर आसानी से नही मिल पाते है तो हम इन्टरनेट के जरिये Online भी सर्च कर सकते है

– किसी भी एग्जाम में सामान्य ज्ञान सबसे जरुरी भाग होता है सामान्य ज्ञान एक ऐसा विषय होता है हम चाहे जितना भी पढ़ ले कम ही होता है ऐसे में जरुरी नही की जब एग्जाम की तैयारी करे तभी सामान्य ज्ञान का अध्ययन करे, सामान्य ज्ञान के लेटेस्ट जानकारी के लिए सबसे अधिक उपयुक्त समाचार पत्र और टीवी न्यूज़ चैनल होते है जिनसे हमे नई तरह आने वाली जानकारीयो के बारे में आसानी से पता चलता है

3 – तार्किक प्रश्न यानी Reasoning Question दिखने में तो बहुत ही टेढ़े लगते है लेकिन अगर आप इन्हें एकबार समझ लेते है तो फिर इन्हें हल करने में मजा आने लगता है या यु कहे तार्किक प्रश्नों से हमारे सोचने और कल्पना करने की क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है

4 – दुनिया में क्या हो रहा है इसके बारे में भी जानना जरुरी होता है जिसके बारे में सामान्य सचेतता के अंतर्गत ऐसे प्रश्न पूछे जाते है

5 – Railway Group D Exam की तैयारी के लिए Model Paper की भी सहायता ले सकते है या ऐसे कहे की अगर आप रेलवे में जॉब एग्जाम की तैयारी कर रहे है तो अगर निर्धारित समय में हमे पेपर के सभी प्रश्न हल करने होते है ऐसे में अगर तैयारी करने के साथ इन मॉडल पेपर के प्रश्नों को दिए समय में हम हल भी करते रहे तो इससे परीक्षा की तैयारी भी अच्छे से होने लगती है

6 – ग्रुप स्टडी एक ऐसा अध्ययन है जिसमे दो चार स्टूडेंट्स आपस में मिलकर बैठकर स्टडी करते है ऐसे में यदि एग्जाम की तैयारी कर रहे है तो हो सकता है कुछ चीजे आपको मालूम हो और कुछ चीजे आपके साथ में तैयारी करने वाले दोस्तों को मालूम हो ऐसे में अहर ग्रुप Discussion के जरिये एग्जाम की तैयारी किया जाय तो आसानी सभी के जानकरी आपस में साँझा होती है जिससे जॉब की परीक्षा की अच्छे से तैयारी भी होती है



7 – कोई भी एग्जाम की तैयारी के लिए उसके एग्जाम पैटर्न को जानना जरुरी होता है ऐसे में जब आप रेलवे जॉब की तैयारी कर रहे है तो फॉर्म भरते समय सभी जानकारी को सही से पढ़ ले और परीक्षा में कैसे प्रश्न पूछे जाने वाले है इसकी भी जानकारी प्राप्त कर ले जैसा की हमने इसके बारे ऊपर भी Exam Paper Pattern के जरिये बताया है

रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी से महत्वपूर्ण सलाह

How to Prepare Railway Group D Exam Advice in Hindi

जब आप रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी करते है तो कुछ इन महत्वपूर्ण बातो को भी अच्छे से जान लेना जरुरी होता है

1 – Railway Group D Vacancy समय समय निकलते रहते है इसके लिए खुद को हमेसा Update रखे

2 –  रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण तिथिया भी निर्धारित होती है जिन्हें नोट करना आवश्यक होता है जैसे की फॉर्म की आवेदन की प्रारम्भिक तिथि और अंतिम तिथि कब है, रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तिथि कब है प्रवेश पत्र कब तक आएगा, आपका परीक्षा कब और कहा निर्धारित हुआ है इन सबकी जानकारी रखना बहुत आवश्यक होता है ऐसे में यदि कोई भी तारीख को भूल जाते है तो हो सकता है की हम कोई बड़े अवसर को हाथ आने से चूक सकते है तो इन बातो का हमेसा ख्याल रखे

3 – जब भी फॉर्म अप्लाई करते है तो यह निश्चित कर ले की आपका फॉर्म शत प्रतिशत सही भरा गया हो अन्यथा कोई गलती होने पर एडमिट कार्ड पाने से वंचित हो सकते है जिसके कारण परीक्षा में बैठने का अवसर भी नही मिल पायेगा सो इसके लिए खुद को सचेत रखे



4 – कोई भी कार्य में सफलता या असफलता ही मिलती है इसलिए एकबार में जब रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा नहीं निकाल पाते है तो ऐसे में निराश होने के बजाय पिछले अनुभव के आधार पर हमे रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी नही छोडनी चाहिए और एकबार फिर से तैयारी करते हुए पहले की तुलना में आप और अच्छा और बेहतर कर सकते है

5 – कोई भी परीक्षा उतना कठिन भी नही होता और ना हो उतना आसान भी होता है सो जब भी आप कोई भी परीक्षा या रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा की तैयारी करे तो इसे कभी भी आसान न समझते हुए खूब मन लगाकर अच्छे मन से तैयारी करे तो निश्चित ही सफलता आपके कदम चूमेगी

“Best of Luck”

तो आप सबको पोस्ट रेलवे एग्जाम ग्रुप डी की तैयारी कैसे करे Railway Group D Vacancy Exam Preparing tips in Hindi कैसा लगा हमे जरुर बताये और कुछ पूछना चाहते है कमेंट बॉक्स में जरुर पूछे और इस पोस्ट को शेयर भी जरुर करे

Monday, June 11, 2018

महिला सशक्तिकरण पर निबंध


‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। सामान्यत: विद्यार्थी अपने स्कूल में चर्चा करने या कुछ पैराग्राफ लिखने या निबंध लिखने के लिये इस विषय को लेते है। यहाँ विद्यार्थीयों के मदद के लिये इस विषय पर हम कुछ निबंध उपलब्ध करा रहे है।



महिला सशक्तिकरण पर निबंध (वीमेन एम्पावरमेंट एस्से)

Get here some essays on Women Empowerment in easy Hindi language for students in 100, 150, 200, 250, 300, 400 एंड 500 words.

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1 (100 शब्द)

अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिये महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है। परिवार और समाज की हदों को पीछे छोड़ने के द्वारा फैसले, अधिकार, विचार, दिमाग आदि सभी पहलुओं से महिलाओं को अधिकार देना उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिये है। समाज में सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को लिये बराबरी में लाना होगा । देश, समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिये महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है। महिलाओं को स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण की जरुरत है जिससे कि वो हर क्षेत्र में अपना खुद का फैसला ले सकें चाहे वो स्वयं, देश, परिवार या समाज किसी के लिये भी हो। देश को पूरी तरह से विकसित बनाने तथा विकास के लक्ष्य को पाने के लिये एक जरुरी हथियार के रुप में है महिला सशक्तिकरण।



महिला सशक्तिकरण पर निबंध 2 (150 शब्द)

भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार, पुरुषों की तरह सभी क्षेत्रों में महिलाओं को बराबर अधिकार देने के लिये कानूनी स्थिति है। भारत में बच्चों और महिलाओं के उचित विकास के लिये इस क्षेत्र में महिला और बाल विकास विभाग अच्छे से कार्य कर रहा है। प्राचीन समय से ही भारत में महिलाएँ अग्रणी भूमिका में थी हालाँकि उन्हें हर क्षेत्र में हस्तक्षेप की इज़ाजत नहीं थी। अपने विकास और वृद्धि के लिये उन्हें हर पल मजबूत, जागरुक और चौकन्ना रहने की जरुरत है। विकास का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को समर्थ बनाना है क्योंकि एक सशक्त महिला अपने बच्चों के भविष्य को बनाने के साथ ही देश का भविष्य का सुनिश्चित करती है।
विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारतीय सरकार के द्वारा कई योजनाओं को निरुपित किया किया गया है। पूरे देश की जनसंख्या में महिलाओं की भागीदारी आधे की है और महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये हर क्षेत्र में इन्हें स्वतंत्रता की जरुरत है।



महिला सशक्तिकरण पर निबंध 3 (200 शब्द)

भारत एक प्रसिद्ध देश है जो प्राचीन समय से ही अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिये जाना जाता है। जबकि दूसरी ओर, ये अपने पुरुषवादी राष्ट्र के रुप में भी जाना जाता है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है हालाँकि समाज और परिवार में उनके साथ बुरा व्यवहार भी किया जाता है। वो घरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहती है और उनको सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारीयों के लिये समझा जाता है। उन्हे अपने अधिकारों और विकास से बिल्कुल अनभिज्ञ रखा जाता है। भारत के लोग इस देश को माँ का दर्जा देते है लेकिन माँ के असली अर्थ को कोई नहीं समझता ये हम सभी भारतीयों की माँ है और हमें इसकी रक्षा और ध्यान रखना चाहिये।

इस देश में आधी आबादी महिलाओं की है इसलिये देश को पूरी तरह से शक्तिशाली बनाने के लिये महिला सशक्तिकरण बहुत जरुरी है। उनके उचित वृद्धि और विकास के लिये हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकार को समझाना महिलाओं को अधिकार देना है। महिलाएँ राष्ट्र के भविष्य के रुप में एक बच्चे को जन्म देती है इसलिये बच्चों के विकास और वृद्धि के द्वारा राष्ट्र के उज्जवल भविष्य को बनाने में वो सबसे बेहतर तरीके से योगदान दे सकती है। महिला विरोधी पुरुष की मजबूर पीड़ित होने के बजाय उन्हें सशक्त होने की जरुरत है।



महिला सशक्तिकरण पर निबंध 4 (250 शब्द)

नारी सशक्तिकरण के नारे के साथ एक प्रश्न उठता है कि “क्या महिलाएँ सचमुच में मजबूत बनी है” और “क्या उसका लंबे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है”। राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सच्ची महत्ता और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिये मातृ दिवस, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाये जा रहे और लागू किये गये है। महिलाओं को कई क्षेत्र में विकास की जरुरत है। अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है जहाँ महिलाएँ अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। भारत में अनपढ़ो की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है। नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें।
भारत में महिलाएँ हमेशा परिवार में कलंक से बचाने हेतु किये गये वध के विषय के रुप में होती है और उचित शिक्षा और आजादी के लिये उनको कभी भी मूल अधिकार नहीं दिये गये। ये पीड़ित है जिन्होंने पुरुषवादी देश में हिंसा और दुर्व्यवहार को झेला है। भारतीय सरकार के द्वारा शुरुआत की गयी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये राष्ट्रीय मिशन के अनुसार 2011 गणना में इस कदम की वजह से कुछ सुधार आया। इससे महिला लिगांनुपात और महिला शिक्षा दोनों में बढ़ौतरी हुई। वैश्विक लिंग गैप सूचकांक के अनुसार, आर्थिक भागीदारी, उच्च शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिये भारत में कुछ ठोस कदम की जरुरत है। जरुरत है कि इसे आरम्भिक स्थिति से निकालते हुए सही दिशा में तेज गति से आगे बढ़ाया जाये।





महिला सशक्तिकरण पर निबंध 5 (300 शब्द)

पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय। लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है। सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध 6 (400 शब्द)

लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिला को बराबरी पर लाने के लिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरुरत है। सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिये। महिला और पुरुष के बीच की असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा के रुप में सामने आ सकती है। ये महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें समाज में पुरुषों के बराबर महत्व मिले। वास्तव में सशक्तिकरण को लाने के लिये महिलाओं को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिये। न केवल घरेलू और पारिवारिक जिम्मेदारियों बल्कि महिलाओं को हर क्षेत्रों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। उन्हें अपने आस-पास और देश में होने वाली घटनाओं को भी जानना चाहिये।

महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है। वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती है। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ किसी भी प्रभावकारी हिंसा को संभालने में सक्षम है चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक।



महिला सशक्तिकरण के द्वारा ये संभव है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के महिला-पुरुष समानता वाले वाले देश को पुरुषवादी प्रभाव वाले देश से बदला जा सकता है। महिला सशक्तिकरण की मदद से बिना अधिक प्रयास किये परिवार के हर सदस्य का विकास आसानी से हो सकता है। एक महिला परिवार में सभी चीजों के लिये बेहद जिम्मेदार मानी जाती है अत: वो सभी समस्याओं का समाधान अच्छी तरह से कर सकती है। महिलाओं के सशक्त होने से पूरा समाज अपने आप सशक्त हो जायेगा।

मनुष्य, आर्थिक या पर्यावरण से संबंधित कोई भी छोटी या बड़ी समस्या का बेहतर उपाय महिला सशक्तिकरण है। पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है। महिलाएँ अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी, तथा परिवार, देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है। वो हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है। अंतत: कई वर्षों के संघर्ष के बाद सही राह पर चलने के लिये उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध




देश की बेटियों की रक्षा और उन्नति के लिये प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नाम से एक योजना का शुभारंभ किया गया है। सामाजिक योजनाओं पर निबंध लेखन के लिये अपने स्कूल में सामान्यत: निर्दिष्ट किये गये विद्यार्थियों की मदद के लिये हम यहाँ पर ऐसे मुद्दों पर निबंध उपलब्ध करा रहें हैं। विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिये अलग-अलग शब्द सीमा तथा बेहद आसान शब्दों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर निबंध दिया गया है। बच्चों और विद्यार्थियों के लेखन कौशल को सुधारने के लिये स्कूलों में निबंध और पैराग्राफ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है जिसमें नीचे दिये गये निबंध उनकी सहायता कर सकता है।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एस्से)

Get here some essays on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi language for students in 100, 150, 200, 250, 300, and 400 words.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 1 (100 शब्द)

भारतीय समाज में छोटी बच्चियों के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक असमानता की ओर ध्यान दिलाने के लिये बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक सरकारी सामाजिक योजना की शुरुआत की गयी है। हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, बुधवार को प्रधानमंत्री के द्वारा इस योजना की शुरुआत हुयी। ये योजना समाज में लड़कियों के महत्व के बारे लोगों को जागरुक करने के लिये है। कन्या भ्रूण हत्या को पूरी तरह समाप्त करने के द्वारा लड़कियों के जीवन को बचाने के लिये आम लोगों के बीच ये जागरुकता बढ़ाने का कार्य करेगी तथा इसमें एक लड़के की भाँति ही एक लड़की के जन्म पर खुशी मनाने और उसे पूरी जिम्मेदारी से शिक्षित करने के लिये कहा गया है।


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 2 (150 शब्द)

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (इसका अर्थ है लड़कियों को बचाना और शिक्षित करना) योजना की शुरुआत भारतीय सरकार द्वारा 2015 के जनवरी महीने में हुई। इस योजना का मकसद भारतीय समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिये कल्याणकारी कार्यों की कुशलता को बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के बीच जागरुकता उत्पन्न करने के लिये भी है। इस योजना के लिये 100 करोड़ की शुरुआती पूँजी की आवश्यकता थी।

इस योजना की शुरुआत की जरुरत 2001 के सेंसस के आँकड़ों के अनुसार हुई, जिसके तहत हमारे देश में 0 से 6 साल के बीच का लिंगानुपात हर 1000 लड़कों पर 927 लड़कियों का था। इसके बाद इसमें 2011 में और गिरावट देखी गयी तथा अब आँकड़ा 1000 लड़कों पर 918 लड़कियों तक पहुँच चुका था। 2012 में यूनिसेफ द्वारा पूरे विश्वभर में 195 देशों में भारत का स्थान 41वाँ था इसी वजह से भारत में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के प्रति लोगों की जागरुकता जरुरी हो गयी। ये योजना कन्या भ्रूण हत्या को जड़ से मिटाने के लिये लोगों से आह्वन भी करती है।



बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 3 (200 शब्द)

देश में छोटी बच्चियों को सशक्त करने के साथ-साथ समाज में लड़कियों की  गिरती संख्या के अनुपात के मुद्दे को बताने के लिये एक उद्देश्यपूर्णं ढंग से एकराष्ट्रव्यापी योजना की शुरुआत हुई जिसका नाम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ है। हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सफलतापूर्वक इस योजना का आरंभ हुआ। लड़कियों के प्रति लोगों की विचारधारा में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ ही ये योजना भारतीय समाज में लड़कियों की महत्ता की ओर भी इंगित करता है। भारतीय समाज में लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता बहुत क्रूर हो चुकी है। ऐसे लोगों का मानना है कि लड़कियाँ पहले परिवार के लिये बोझ होती है और फिर पति के लिये तथा ये सिर्फ लेने के लिये होती है देने के लिये नहीं।
हालाँकि ये सच नहीं है, दुनिया की आधी जनसंख्या लगभग महिलाओं की है इसलिये वो धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिये आधी जिम्मेदार होती है। लड़कियों या महिलाओं को कम महत्ता देने से धरती पर मानव समाज खतरे में पड़ सकता है क्योंकि अगर महिलाएँ नहीं तो जन्म नहीं। लगातार प्रति लड़कों पर गिरते लड़कियों का अनुपात इस मुद्दे की चिंता को साफतौर पर दिखाता है। इसलिये, उन्हें गुणवत्तापूर्णं शिक्षा प्रदान कराने के साथ, छोटी बच्ची की सुरक्षा को पक्का करना ,लड़कियों को बचाना, कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिये इस योजना की शुरुआत की गयी है।



बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 4 (250 शब्द)

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एक सरकारी योजना है जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने जनवरी 2015 में शुरु किया है। लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है। भारतीय समाज में छोटी लड़कियों पर बहुत सारे प्रतिबंध किये जाते है जो उनकी उचित वृद्धि और विकास में रोड़ा बना हुआ है। ये योजना छोटी लड़कियों के खिलाफ होने वाले अत्यचार, असुरक्षा, लैंगिक भेदभाव आदि को रोकेगा। 18वीं सदी के लोगों की बजाय आधुनिक में समय महिलाओं के प्रति लोगों की मानसिकता ज्यादा घटिया होती जा रही है। इस कार्यक्रम की शुरुआत करते समय प्रधनमंत्री ने कहा कि, भारतीय लोगों की ये सामान्य धारणा है कि लड़कियाँ अपने माता-पिता के बजाय पराया धन होती है। अभिवावक सोचते है कि लड़के तो उनके अपने होते है जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेंगे जबकि लड़कियाँ तो दूसरे घर जाकर अपने ससुराल वालों की सेवा करती हैं।

लड़कियों के बारे में 21वीं सदी में लोगों की ऐसी मानसिकता वाकई शर्मनाक है और जन्म से लड़कियों को पूरे अधिकार देने के लिये लोगों के दिमाग से इसे जड़ से मिटाने की जरुरत है।

छोटी लड़कियों की स्थिति अंतिम दशक में बहुत खराब हो चुकी थी क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या एक बड़े पैमाने पर अपना पैर पसार रही थी। उच्च तकनीक के द्वारा लिंग का पता लगाकर जन्म से पहले ही लड़कियों को उनके माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता था। लड़कियों की संख्या को कम करने के लिये ये प्रथा प्रचलन में थी साथ ही साथ परिवार एक लड़की की जिम्मेदारी तुच्छ समझता है। योजना की शुरुआत करने के लिये सबसे बेहतर जगह के रुप में हरियाणा को चुना गया था क्योंकि देश में (775 लड़कियाँ/1000 लड़के) लड़कियों के लिंगानुपात हरियाणा के महेन्द्रगण जिला में सबसे खराब है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 5 (300 शब्द)

हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015 को पीएम नरेन्द्र मोदी के द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नाम से एक सरकारी योजना की शुरुआत हुई। भारतीय समाज में लड़कियों की दयनीय दशा को देखते हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। आँकड़ों के अनुसार, 1991 में (0-6 वर्ष के उम्र के) हर 1000 लड़कों पर 945 लड़कियाँ है, जबकि 2001 में लड़कियों की संख्या 927 पर और दुबारा 2011 में इसमें गिरावट होते हुए ये 1000 लड़कों पर 918 पर आकर सिमट गयी। अगर हम सेंसस के आँकड़ों पर गौर करें तो पाएँगे कि हर दशक में लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज हुई है। ये धरती पर जीवन की संभावनाओं के लिये भी खतरे का निशान है। अगर जल्द ही लड़कियों से जुड़े ऐसे मुद्दों को सुलझाया नहीं गया तो आने वाले दिनों में धरती बिना नारियों की हो जायेगी और तथा कोई नया जन्म नहीं होगा।

देश में लड़कियों के बुरे आँकड़ों को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की। ये बेहद प्रभावकारी योजना है जिसके तहत लड़कियों की संख्या में सुधार, इनकी सुरक्षा, शिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या का उन्मूलन, व्यक्तिगत और पेशेवर विकास आदि का लक्ष्य पूरे देश भर में है।  इसे सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू करने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान के द्वारा देश (केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय, स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय) के 100 चुनिंदा शहरों में इस योजना को लागू किया गया है। इसमें कुछ सकारात्मक पहलू ये है कि ये योजना लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराध और गलत प्रथाओं को हटाने के लिये एक बड़े कदम के रुप में साबित होगा। हम ये आशा करते हैं कि आने वाले दिनों में सामाजिक-आर्थिक कारणों की वजह से किसी भी लड़की को गर्भ में नहीं मारा जायेगा, अशिक्षित नहीं रहेंगी, असुरक्षित नहीं रहेंगी, बलात्कार नहीं होगा आदि। अत: पूरे देश में लैंगिक भेदभाव को मिटाने के द्वारा बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना का लक्ष्य लड़कियों को आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह से स्वतंत्र बनाने का है।



बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 6 (400 शब्द)

पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से लड़कियों के लिये एक योजना की शुरुआत की। इसका आरंभ हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, गुरुवार को हुआ। पूरे देश में हरियाणा में लिंगानुपात 775 लड़कियाँ पर 1000 लड़कों का है जो बेटीयों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है इसी वजह से इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य से हुई। लड़कियों की दशा को सुधारने के लिये पूरे देश के 100 जिलों में इसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया है, सबसे कम स्त्री-पुरुष अनुपात होने की वजह से हरियाणा के 12 जिलों (अंबाला, कुरुक्षेत्र, रिवारी, भिवानी, महेन्द्रगण, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, करनाल, यमुना नगर, पानीपत और कैथाल) को चुना गया।

लड़कियों की दशा को सुधारने और उन्हें महत्व देने के लिये हरियाणा सरकार 14 जनवरी को ‘बेटी की लोहड़ी’ नाम से एक कार्यक्रम मनाती है। इस योजना का उद्देश्य लड़कियों को सामाजिक और आर्थिक रुप से स्वतंत्र बनाना है जिससे वो अपने उचित अधिकार और उच्च शिक्षा का प्रयोग कर सकें। आम जन में जागरुकता फैलाने में ये मदद करता है साथ ही महिलाओं को दिये जाने वाले लोक कल्याणकारी सेवाएँ की कार्यकुशलता को भी बढ़ाएगा। अगर हम 2011 के सेंसस रिपोर्ट पर नजर डाले तो हम पाएँगे कि पिछले कुछ दशकों से 0 से 6 वर्ष के लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। 2001 में ये 927/1000 था जबकि 2011 में ये और गिर कर 919/1000 पर आ गया। अस्पतालों में आधुनिक लक्षण यंत्रों के द्वारा लिंग पता करने के बाद गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या करने की वजह से लड़कियों की संख्या में भारी कमी आयी है। समाज में लैंगिक भेदभाव की वजह से ये बुरी प्रथा अस्तित्व में आ गयी।

जन्म के बाद भी लड़कियों को कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, खान-पान, अधिकार आदि दूसरी जरुरतें है जो लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिये। हम कह सकते हैँ कि महिलाओं को सशक्त करने के बजाय अशक्त किया जा रहा है। महिलाओं को सशक्त बनाने और जन्म से ही अधिकार देने के लिये सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। महिलाओं के सशक्तिकरण से सभी जगह प्रगति होगी खासतौर से परिवार और समाज में। लड़कियों के लिये मानव की नकारात्मक पूर्वाग्रह को सकारात्मक बदलाव में परिवर्तित करने के लिये ये योजना एक रास्ता है। ये संभव है कि इस योजना से लड़कों और लड़कियों के प्रति भेदभाव खत्म हो जाये तथा कन्या भ्रूण हत्या का अन्त करने में ये मुख्य कड़ी साबित हो। इस योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने चिकित्सक बिरादरी को ये याद दिलाया कि चिकित्सा पेशा लोगों को जीवन देने के लिये बना है ना कि उन्हें खत्म करने के लिये।

Assignment on clean India स्वच्छ भारत मिशन

   
इंडिया जोकि भारत है, एक प्राचीन सभ्यता है। इसे एक पवित्र राष्ट्र माना जाता है, इसके लोग बहुत धार्मिक है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते है; हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, पारसी, जैन आदि और वे अपने धर्मों का पूरी निष्ठा से पालन करते है। लेकिन यह हमारे देश की कड़वी सच्चाई है कि सभी स्वच्छता और धर्मपरायणता केवल धार्मिक गतिविधियों और रसोई तक ही सीमित है। हम भारतीय अपने हर तरफ की गंदगी के लिये गंभीर नहीं है, कहीं भी कोई गंदगी का ढ़ेर देख सकता है। अपने आस-पास के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना हमारे व्यवहार में नहीं है। अधिक से अधिक हम अपने घर को साफ रखते है और सड़क, रास्ते, पार्क या सार्वजनिक जगहों के प्रति हम चिंतित हो ये हमारा मसला नहीं है। यहाँ तक कि आजादी के 65 साल बाद भी ये सच में शर्मनाक है कि भारतीय अपने अस्वास्थ्यकर व्यवहार के लिये प्रसिद्ध है।



अभी हाल ही में नई सरकार सत्ता में आई है और उसकी मुख्य प्राथमिकता भारत को स्वच्छ करने में है। और इसी लक्ष्य के लिये सरकार ने एक अभियान की शुरुआत की जिसका नाम है “स्वच्छ भारत अभियान”।

सरकार ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को इस अभियान से जोड़ा है क्योंकि देश में स्वच्छता के कार्यों के वह बड़े समर्थक थे तथा वह अपने पूरे जीवन भर साफ-सफाई और स्वच्छता की गतिविधियों से जुड़े रहे।

स्वच्छ भारत अभियान क्या है ?

स्वच्छ भारत आंदोलन: भारत को स्वच्छ बनाने के लक्ष्य के साथ नई दिल्ली के राजघाट पर 2 अक्दूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस अभियान की शुरुआत हुई। इसका लक्ष्य है 2 अक्दूबर 2019 तक हर परिवार को शौचालय सहित स्वच्छता-सुविधा उपलब्ध कराना है, ठोस और द्रव अपशिष्ट निपटान व्यवस्था, गाँव में सफाई और सुरक्षित तथा पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी उपलब्ध हो। ये भारत के राष्ट्रपिता को उनके 150वें जन्मदिवस पर सबसे उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। ये बहुत महत्वपूर्ण है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिये प्रधानमंत्री स्वयं अग्रसक्रिय भूमिका निभा रहे है; राजघाट पर उन्होंने खुद सड़कों को साफ कर इस मुहिम की शुरुआत की।

जबकि, ये पहले ही निर्धारित कर दिया गया है कि ये अभियान केवल सरकार का कर्तव्य नहीं है बल्कि राष्ट्र को स्वच्छ बनाने की की जिम्मेदारी इस देश के सभी नागरिकों है ।

स्वच्छ भारत अभियान का इतिहास

स्वच्छ भारत आंदोलन की मुहिम आज तक स्वच्छता से संबंधित लिया गया एक बड़ा कदम है। इस अभियान को विश्वस्तर पर प्रसिद्ध करने के लिये तथा आम जनता को इसके प्रति जागरुक करने के लिये स्कूलों तथा कॉलेज के विद्यार्थीयों सहित लगभग 3 लाख सरकारी कर्मचारीयों ने इसके प्रारंभ होने के दिन इसमें भाग लिया। 1500 लोगों के मौजूदगी में 2 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रपति भवन में इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया था। भारतीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने झंडा दिखाकर इस आंदोलन की शुरुआत की।
इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिये व्यापार, खेल और फिल्म उद्योग से जुड़े नौ प्रसिद्ध व्यक्तियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामित किया। उन्होंने उन नौ व्यक्तियों से निवेदन भी किया कि वे और नौ व्यक्तियों को इस अभियान से जोड़ें और स्वच्छता के इस आंदोलन को देश के कोने-कोने में रहने वाले हर एक भारतीय तक इसे पहुचाऐ।

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस मुहिम को चुनौती की तरह लेना चाहिये तथा व्यक्तिगत (पेड़ की शाखाओं की तरह) तौर पर दूसरे नौ लोगों को आमंत्रित करना चाहिये जिससे स्वच्छता का ये दृष्टीकोण 2019 तक पूरा हो जाए और इतिहास में हमेशा के लिये भारत एक स्वच्छ देश बने।

इस भारतीय अभियान से प्रेरणा लेकर 3 जनवरी 2015 को, इंडो-नेपाल डॉक्टर एशोसियन ने एक मुहिम की शुरुआत की जिसको “स्वच्छ भारत नेपाल- स्वच्छ भारत नेपाल अभियान” कहा गया। इसकी शुरुआत इंडो-नेपाल बाडर्र क्षेत्र, सुनौली-बेलिहिया (भगवान बुद्ध का जन्म स्थल, पवित्र शहर लुंबिनी,नेपाल) हुई।

भारत में स्वच्छता के दूसरे कार्यक्रम जैसे केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कायर्क्रम (सीआरएसपी) का प्रारंभ 1986 में पूरे देश में हुआ जो कि गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिये स्वास्थयप्रद शौचालय बनाने पर केन्द्रित था। इसका उद्देश्य सूखे शौचालयों को अल्प लागत से तैयार स्वास्थयप्रद शौचालयों में बदलना, खासतौर से ग्रामीण महिलाओं के लिये शौचालयों का निर्माण करना तथा दूसरी सुविधाएँ जैसे हैंड पम्प, नहान-गृह, स्वास्थ्यप्रद, हाथों की सफाई आदि था। यह लक्ष्य था कि सभी उपलब्ध सुविधाएँ ठीक ढंग से ग्राम पंचायत द्वारा पोषित की जाएगी। गाँव की उचित सफाई व्यवस्था जैसे जल निकासी व्यवस्था, सोखने वाला गड्ढा, ठोस और द्रव अपशिष्ट का निपटान, स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरुकता, सामाजिक, व्यक्तिगत, घरेलू और पर्यावरणीय साफ-सफाई व्यवस्था आदि की जागरुकता हो।

ग्रामीण साफ-सफाई कार्यक्रम का पुनर्निमाण करने के लिये भारतीय सरकार द्वारा 1999 में भारत में सफाई के पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) की शुरुआत हुई। पूर्ण स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देने के लिये साफ-सफाई कार्यक्रम के तहत जून 2003 के महीने में निर्मल ग्राम पुरस्कार की शुरुआत हुई। ये एक प्रोत्साहन योजना थी जिसे भारत सरकार द्वारा 2003 में लोगों को पूर्ण स्वच्छता की विस्तृत सूचना देने पर, पर्यावरण को साफ रखने के लिये साथ ही पंचायत, ब्लॉक, और जिलों द्वारा गाँव को खुले में शौच करने से मुक्त करने के लिये प्रारंभ की गई थी।

निर्मल भारत अभियान की शुरुआत 2012 में हुई थी और उसके बाद स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 में हुई। जबकि इसके पूर्व में भारतीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे है सभी सफाई-सफाई व्यवस्था और स्वच्छता कार्यक्रम वर्तमान 2014 के स्वच्छ भारत अभियान के जितना प्रभावकारी नहीं थे।

स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य

2 अक्टूबर 2019 तक “स्वच्छ भारत” के मिशन और दृष्टि को पूरा करने के लिये भारतीय सरकार द्वारा कई सारे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई जो कि महान महात्मा गाँधी का 150वाँ जन्म दिवस होगा। ऐसा अपेक्षित है कि भारतीय रुपये में 62000 करोड़ अनुमानित खर्च है (9.7 b$)। सरकार द्वारा ये घोषणा किया गया है कि ये अभियान राजनीति के उपर है और देशभक्ति से प्रेरित है। स्वच्छ भारत अभियान के निम्न कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य।

भारत में खुले में मलत्याग की व्यवस्था का जड़ से उन्मूलन।
अस्वास्थ्यकर शौचालयों को बहाने वाले शौचालयों में बदलना।
हाथों से मल की सफाई करने की व्यवस्था को हटाना।
लोगों के व्यवहार में बदलाव कर अच्छे स्वास्थ्य के विषय में जागरुक करना।
जन-जागरुकता पैदा करने के लिये सार्वजनिक स्वास्थय और साफ-सफाई के कार्यक्रम से लोगों को जोड़ना।
साफ-सफाई से संबंधित सभी व्यवस्था को नियंत्रित, डिज़ाइन और संचालन करने के लिये शहरी स्थानीय निकाय को मजबूत बनाना।
पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से निपटानों का दुबारा प्रयोग और म्यूनिसिपल ठोस अपशिष्ट का पुनर्चक्रण।
सभी संचालनों के लिये पूँजीगत व्यय में निजी क्षेत्रकों को भाग लेने के लिये जरुरी वातावरण और स्वच्छता अभियान से संबंधित खर्च उपलब्ध कराना।
कॉरपोरेट भारत और स्वच्छ भारत अभियान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुलावे पर ध्यान देते हुए कॉरपोरेट भारत ने भी इस अभियान को सफल बनाने के लिये उत्साह के साथ कदम आगे बढ़ाया।

अनिवार्य कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत स्वच्छता गतिविधियों में सार्वजनिक और निजी कंपनीयों को जोड़ा जा रहा है जो कि कंपनी अधिनियम 2013 के तहत कानूनी जरुरत है। सीएसआर एक क्रियाविधी है जिसके द्वारा कंपनियाँ पूरे समाज के भले कार्यों में पूँजी लगाती है।

हाल ही में बड़े कॉरपोरेट घराने जैसे एलएनटी, डीएलएफ, वेदांता, भारती, टीसीएस, अंबुजा सीमेंट, टोयोटा किरलोस्कर, मारुती, टाटा मोटर्स, कोका कोला, डॉबर्र, आदित्य बिरला, अदानी, इंफोसिस, टीवीएस और कई दूसरों के पास निश्चित किये गये बजट स्वच्छ भारत अभियान के लिये है। एक अनुमान के मुताबिक कॉरपोरेट सेक्टर के द्वारा 1000 करोड़ की कीमत के कई स्वच्छता परियोजनाएँ पाइपलाइन में है। दूर-दराज़ के गाँवों में शौचालय बनाने सहित इन परियोजनाओं में व्यवहार में बदलाव लाने के लिये कार्यशाला चलाना, कचरा प्रबंधन तथा साफ पानी और दूसरी चीजों में साफ-सफाई क्रिया-कलाप आदि है।

स्वच्छ भारत अभियान के लिये एक बोली में कॉरपोरेट्स धन को आमंत्रित करना, अभी हाल ही में सरकार ने ये फैसला लिया कि इस स्कीम में कॉरपोरेट भागीदारी को सीएसआर खर्चे में गिनती होगी। और बाद में इसे स्पष्ट करने के लिये कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी कंपनी अधिनियम के शेड्यूल 7 को संशोधित किया ये उल्लिखित करने के लिये कि स्वच्छ भारत कोष में योगदान सीएसआर के लिये योग्य होगा।

इसलिये, ना केवल सरकरी और निजी शख्स बल्कि कॉरपोरेट क्षेत्रक भी भारत को स्वच्छ बनाने में अपनी भूमिका निभा रहे है।

स्वच्छ भारत अभियान से कैसे जुड़े

देश में रह रहे सभी नागरिकों के प्रयासों के द्वारा भारत को एक स्वच्छ भारत बनाने के लिये स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत हुई। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्पष्ट रुप से घोषित किया गया कि कोई भी इस कार्यक्रम में किसी भी समय सक्रिय रुप से भाग ले सकता है। उसे बस गंदी जगहों की एक तस्वीर लेनी है और इसके बाद उसे उस जगह की सफाई करने के बाद तस्वीर लेनी है और पहले और बाद की फोटो सोशल मीडिया वेबसाइटों जैसे फेसबुक, ट्वीटर आदि पर अपलोड कर देनी है जिससे इसी तरह का कार्य करने के लिये दूसरे आम लोग इससे परिचित और प्रेरित हो स्वच्छ भारत के दृष्टी को पूरा कर सके।

भारतीय जनता से भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा इस तरह की अपील के बाद ये भारत के लोगों द्वारा तेजी से शुरु हुआ। इस कार्यक्रम के आरंभ होने के दिन से ही लोग बहुत सक्रिय और प्रेरित हुए और इसको वैश्विक बनाने के लिये पहले और बाद की स्नैप लेकर सोशल मीडिया वेबसाइटों पर अपलोड कर उसी तरह शुरु किया गया। नरेन्द्र मोदी द्वारा ये भी कहा गया कि जो भी इस मुहिम को आगे बढ़ायेगा उसे सोशल मीडिया वेबसाइटों पर सरकरा द्वारा सराहा जायेगा। बॉलीवुड, टॉलीवुड, राजनीतिज्ञ, खेल, व्यापार उद्योग, आदि से जुड़े बहुत सारे प्रसिद्ध व्यक्तित्व जैसे आमिर खान, अमिताभ बच्चन, रितीक रोशन, सचिन तेंदूलकर, मृदुला सिन्हा जी, अनिल अंबानी, बाबा रामदेव, शशि थरुर, कमल हासन, प्रियंका चोपड़ा, एम.वेंकैया नायडु, अमित शाह, सलमान खान, तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम और कई सारी हस्तियाँ अपने समयनुसार इस मुहीम से जुड़े तथा फेसबुक और ट्वीटर पर इससे जुड़ी तस्वीरें अपलोड की।

इसे स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय के छात्रों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों के द्वारा भी किया जा रहा है। दैनिक रुटीन कार्य और दूसरे व्यवसायिक गतिविधियों में लगे देश के युवा भी कार्यक्रम में भाग लेते है तथा इसी तरह का कार्य करते है। सभी क्रिया-कलाप प्रसिद्ध व्यक्तित्व, विद्यार्थी तथा देश के युवा द्वारा समर्थित होता है और आम जन को इसमें सक्रियता से भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। अपने आस-पास के जगह को साफ और उत्तम करने के लिये हमें भारतीय होने के नाते अपने हाथों में झाड़ू लेने की जरुरत है।

ज्यादातर स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों ने ग्रुप कार्यक्रम में भाग लिया था तो हम क्यूँ पीछे है ? हमें भी इसमें पूरी सक्रियता से भाग लेना चाहिये। इस अभियान को सफल अभियान बनाने के लिये कई स्वतंत्र एप्लिकेशन प्रोग्राम डेवलपर ने मोबाईल तकनीक का इस्तेमाल कर कई मोबाईल एप्लिकेशन बनाए। मीडिया ने भी अपने लेख और खबर प्रकाशन के द्वारा इस अभियान को बढ़ावा दिया। इस अभियान की ओर लोगों को टाईम्स ऑफ इंडिया ने भी अपने लेख “फेसबुक को देशी कंपनी ने हराया ‘स्वच्छ एप्स रेस’ में” से प्रेरित किया। दूसरा प्रकाशित लेख है-“ये भारतीय एप बदल सकता है कैसे लोग अपनी सरकार से बात करें”।

शिक्षण-अधिगम सहायक सामग्री: महत्व, उद्देश्य एवं कार्य

 शिक्षण-अधिगम सहायक सामग्री

अध्यापन के दौरान पाठ्य सामग्री को समझाते समय शिक्षक जिन-2 सामग्रियों का प्रयोग करता है वह सहायक सामग्री कहलाती है। किन्तु आधुनिक षिक्षा प्रणाली में सहायक सामग्री के संबंध में कई नवाचार हुए है जिनकी सहायता से अध्ययन को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है। इन सामग्रियांे द्वारा सीखा ज्ञान न केवल छात्रों में उत्साह जागृत करता है वरन् सीखे हुए ज्ञान को लंबे समय तक अपने स्मृति पटल में संजोए रख सकता है। दूसरी और शिक्षक भी अपने अध्यापन के प्रति उत्साहित रहता है। परिणाम स्वरूप कक्षा का वातावरण हमेशा सकारात्मक बना रहता है।



आज वही शिक्षक छात्रों के लिए आदर्श  होता है, और उसी शिक्षक का शिक्षण आदर्ष शिक्षण कहलाता है जो अपनी पाठ्य सामग्री को इन रोचक सहायक सामग्री के माध्यम से प्रस्तुत करता है। क्योंकि ये न केवल छात्रों का ध्यान केन्द्रित करती है बल्कि उन्हें उचित प्रेरणा भी देती है चाहे वह वास्तविक वस्तु हो, चित्र, चार्ट या कोई तकनीकी उपकरण सभी से छात्रों के मस्तिष्क में एक बिंब निर्माण करता है। हम कह सकते है कि वर्तमान शिक्षण के अन्तर्गत अध्यापन में नवीनता लाने के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग शिक्षक के लिए बांछनीय ही नहीं अनिवार्य भी है।

परिभाषा -
सहायक सामग्री वह सामग्री है जो कक्षा में या अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या बोली गई पाठ्यसामग्री को समझने मंे सहायता प्रदान करती है। -डेण्ड के अनुसार
कोई भी ऐसी सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उद्दीप्त किया जा सके, अथवा श्रवणेन्द्रिय
संवेदनाओं के द्वारा आगे बढ़ाया जा सके वह सहायक सामग्री कहलाती है। -कार्टर ए  गुड

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सहायक सामग्री वह सामग्री, उपकरण तथा युक्तियाँ हैं जिनके प्रयोग करने से विभिन्न शिक्षण परिस्थितियों में छात्रों और समूहों के मध्य प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता है।


सहायक सामग्री का महत्व-

सहायक सामग्री के उद्देश्य -

सहायक सामग्री के कार्य-

सहायक सामग्री प्रयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातेंः-


दृष्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग
दृष्य श्रव्य सामग्री का प्रयोग छात्र और विषय सामग्री के मध्य अन्तःक्रिया को तीव्रतम गति पर लाकर छात्रों को शिक्षोन्मुखी तथा जिज्ञासु बनाती है। एक अच्छे शिक्षक के लिए विषय पर आधिपत्य अध्यापन का बहुपयोगी माध्यम है।

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ICT use in B.Ed. Teacher Education course


the presentation describes HOw ICT can be used in Teacher Education courses

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 ICT use in B.Ed. Teacher Education course

he National Knowledge Commission (NKC) has observed that teachers are the single most important element of the education system and the country is already facing a severe shortage of qualified and motivated teachers at different levels.  The training of teachers is a major area of concern at present as both pre-service and in- service training of teachers are extremely inadequate and poorly managed in most states.  Pre-service training needs to be improved and differently regulated both in public and private institutions.
3.  NCTFE 2009 emphasised ICT in schooling as well as e-learning became centre stage in the frame work.  ICT has become an integral part of today’s teaching learning process.
4.  The integration of ICTs in teaching in general and teacher education in particular is the need of the day. The use of ICTs can make substantial changes both for teaching and training mainly in two ways.  Firstly, the rich representation of information changes learner’s perception and understanding of the context.  Secondly, the vast distribution and easy access to information can change relationships between teachers and taught. ICTs can also provide powerful support for educational innovation.
5.  Time is not sufficient: most of the teacher educators felt that comprehensive Experiences can’t be given in the one year duration of teacher training course and was very difficult to imbibe skills and aptitude. It was also opined there was a mismatch between the training student teachers get in the colleges with the real teaching Experience they had in the regular classrooms.  On supportive to the above statements the Honourable Justice Verma committee proposed to have 2 years B.Ed. course and NCTE has suggested to have the Blend of technology (ICT) with all subjects and Experiences of training.
6.  Why do we need ICT? The face of classroom is changing. The teachers should prepare to keep up with technology utility in the classroom. ICT is not only an essential tool for teachers in their day to day work, but also offers them opportunities for their own professional development.  Teaching with ICT the input and output time is reduced and process time is increased. When the process time is increased, time of students’ activities, discussion, correlation with other subjects, brainstorming and learning etc will increase.
7. approaches to ICT which can be used in the classroom  1.Integrated approach: This aims at planning the use of ICT within the subject to enhance particular concepts and skills and improve pupils’ achievement. This involves, Selecting the suitable ICT resources which will contribute to the aims and objectives of the curriculum.  2.Enhancement Approach: this focus on the use of an ICT resource will enhance the existing subject matter through some aspects of the lessons and tasks. Eg. Using an electronic whiteboard for presenting a theory about a topic.  3.Complementary approach: This aims at using an ICT resource to empower the students’ learning, Eg. By enabling them to improve their class work by taking notes on the computer or by sending home work by email to the teacher from home.
8.  Curricular Areas by NCTE I. Perspectives in Education II. Curriculum and Pedagogic Studies III. Engagement with Field (Enhancing Professional Capacities-EPC)- curricular component that meant for holistically link all the courses across the program. Curricular Components of State Syllabus The course shall have the curricular components namely: a. Perspective Courses (Per-C) b. Pedagogic Courses (Pd- C) c. Enhancing Professional Courses (EPC) d. Engagement with Field Courses (EFC)
9.  ICT and e-learning: Explosive upcoming of ICT  Computers, Networks: Internet and the Web, mobile phone, tablets,  E-learning, and on-line learning.  Lesson plan-correction- mail, webquest.  Discussion groups,  Blogs-creation and discussion, Guidance.  Website-create and post important events-test, scores and programs,  Internet-Google free Books, articles, reports, theses, projects.  Google videos- learning theories, discussions, conference discourses.  Micro teaching skills- record and make repositories.  Mobile phone-SMS-free sms.com,way2sms.com whatsapp, hike, telegram  Facebook, Tweeter  Slideshare.com, freeshare.com  Radio and TV lessons  E-gyankosh, e-content repositories.  IGNOU-content, NCERT, NCTE, UGC, DSERT- websites.  Virtual classroom, smartboards-whiteboards
10.  MOOCs (Massive Open online Courses)  MOOCs are recent development that is reshaping the trend of higher education on the web. It represents an emerging methodology of online teaching, based on the philosophy of connectivism. “Massive” refers to the large number of students can be engaged in online course, and its “Openness” is associated with software used registration to anyone who has access to web, open curriculum, learning resources and evaluation.  MOOC providers: USA (Coursera, EdX, Udacity), Ireland(ALISON), Germany(iversity), Australia open2study), Japan(schoo), FutureLearn, open courseware, OpenUpEd, KHANACADEMY, educa, saylor.org, MOOC2DEGREE, NovoED, Canvas network, Neodemia, World Education University(WEU), Stanford Online, Eliedemy, EURODL,CLASS CENTRAL, edSurge, EFQUEL, Commonwealth of Learning, Minglebox, Swayam etc
11.  E-journals: www.e-journals,org/ , http://www.sciencedirect.com/, www.doaj.org  Open education Resources for Teacher Educators, Teachers and Learners  Geogebra, Google Earth, Hot potato, C-map, R- campus, Mahara, Moodle and wiki-spaces, classroom-2.0, Visual field trips, statistical tools and web conferencing.  Reduce the hard work make to work smartly.  What we require is teacher with blend of education principles, educational software. - Computer teacher at B.ED. Colleges.
12.  Educational Technology Contact Hours: 75 Marks: 80+20=100 Objectives: After the completion of course, pupil teachers will be able to –  Understand the concept and scope of Educational Technology  Understand the concept of Approaches of educational technology  Explain the meaning and use of cybernetics  Understand and use the different Media in Education  Understand the different learning Experiences and use them in the teaching-learning process.  Acquaint with innovations in Educational Technology  Integrate ICT into Teaching Learning, administration and Evaluation.  Develop information Management, communication and collaborative skills.  Design and develop and use learning materials in Teaching.  Practice safe, ethical ways of using ICT.  Use ICT for making classroom processes Inclusive
13.  Course Contents: Unit- I Basics of Education Technology 1. Educational technology- Meaning, Nature, Scope, objectives, and Importance. 2. Instructional technology and teaching technology: Meaning, nature and scope. 3. Approaches of educational technology –Hardware, Software and Systems approach. 4. Cybernetics: Meaning and use in the development of instructional designs. Unit-II Media in Education 1. Print media- Books, Journals, Magazines and newspapers. 2. Digital Media- Documentaries, still pictures, websites, webpage etc, 3. A-V Aids: definition, types audio aids, visual aids, A-V aids (Radio, T.V. and Films) 4. Multi-media: Meaning & concept, scope and importance. 5. Multi sensory approach- Relationship of Learning and Experiences, Dales cone of experience and step learning experiences model
14. Unit- III Educational systems 1.e-learning, cooperative learning, mobile learning- concept, advantages and limitations. 2.Teleconferencing: Audio and Video, Interactive white board- uses & advantages 3.Web services: e-mail, chat, online forums, blog, wiki, e-library 4.Resource centres and services in educational technology: CIET (NCERT), SIET, EMMRC, UGC-CEC, TEINDIA, KOER, NROER, EDUSAT, NME-ICT, NPTEL, IT@SCHOOL, GYAN DARSAN, INFLIBNET. Unit-IV Understanding of ICT in education 1. Concept of ICT and Principles of using ICT in teaching learning process 2. Impact of ICT in education (impact of ICT in social, cultural, economical) 3. Role of teacher (administrator, facilitator, tutor, mentor, counselor, and evaluator) in ICT enabled education. 4. Issues and concerns related to ICT 5. Concept, meaning and merits in Education: Computer Assisted Instruction (CAI), Computer Managed Instruction (CMI),Computer Mediated Communication (CMC),Computer simulation, Blended learning, Educational podcast, Web- based learning, Cloud computing.
15.  Learning Activities 1. Visit websites (Khans academy, E-Gyankosh, Shodhaganga, NCTE, NCERT, DSERT, UGC) Collecting Documents like Polices, plans, statistics, scholarships, issue and trends and writing reports. 2. Free website development and usage (Webs.com) 3. Recording- Audio/Video lectures discussions, and presentations etc, editing and writing report on procedures. 4. CAI- Development and reporting 5. Mobile learning- related activities like use of blue tooth, SMS, MMS and other features. 6. Blog- development and related activities 7. Login in to You tube-download and upload. 8. Writing a report on TV Lessons and discussions 9. Writing a report on Radio lessons and discussion. 10. List out the content related different learning experiences
16. Course for lab work: ICT Total Marks: 50 Contact Hours: 4 Hours per Week (Internal Assessment) Aims of the Course: This set of experiences is visualised with an assumption that student teachers should have basic familiarity with computers, and to have hands-on- experience. Course Contents Unit I. ICT basics: Operating system and application software 1. ICT: Meaning, importance and tools of ICT 2. Computer Hardware: Input-Output Devices 3. Introduction to Operating System  Features of different operating system(Ex: Obantu, etc)  Files and directory operations  Windows Explorer and desktop  Introduction to Application Software  Word Processor , Spreadsheets, Presentations,Database Management System Unit II Computer Applications and Internet 1.Applications of computers in various fields of education: Evaluation, planning, Administration and management, and Library management, etc., 2. Characteristics of a good computerized lesson plan 3. Application of computer in specific context: Teaching Learning Process, Attendance, Evaluation, e- Content, daily planner etc. 4. Internet: Introduction, advantages and disadvantages

17.  Course for lab work: ICT  Activities : 1. Prepare the printed teaching materials using the MS-Word (In any subject - Any unit to be selected, in any language).Use of self-learning materials for the anyone unit by using ICT. 2. Prepare the result sheet in MS-Excel showing the subject wise marks, total marks, percentage Rank, pass or fail, Graphical presentation 3. Preparation of PPT slides (at least 10) for classroom usage. 4. Create an e-mail-id and google account and exchange learning related information. 5. Downloading Anti-virus software through internet and installing to the system. 6. Browse the search engines and download the relevant materials /information. 7. Prepare a list of Educational websites, Reference Books, Research papers etc that are useful in Education. 8. Prepare the submission of core papers with the help of ICT. (Anyone Topic from Anyone Subject) 9. Survey of educational sites based in India 10. Use of available software or CDs with LCD projection for subject learning interactions
18. 11. Generating subject-related demonstrations using computer software 12. Enabling students to plan and execute projects (using computer based research) 13. Interactive use of ICT: Participation in Yahoo groups, creation of 'blogs', etc 14. Collection of e-resources and Reporting. (Text- Books, Articles, Reports, Theses; Audio and Video Files related to educational technology) 15. Critical review of UNESCO ICT Competency standards for Teachers-2008 16. Write a report on INSAT programs. 17. Developing Educational blog in www.blogger.com www.wordpress.com 18. Develop the news groups and report. 19. Creating an Account in Teacher tube/slideshare and sharing your video/powerpoint
19.  Suggestive Activites for ICT applied  Write a report on the features and use of smart board in teaching- learning.  Collection of e-resources and Reporting.(Text-Books, Articles, Reports, Theses; Audio and Video Files related to educational technology)  Critical review of UNESCO ICT Competency standards for Teachers-2008  Write a report on INSAT programs.  Developing Educational blog in www.blogger.com , www.wordpress.com  Develop the news groups and report.  Comparative study of ICT syllabus of School Education and Teacher Education of Various organizations  Evaluating Educational broad casts in the Radio/T.V  Evaluation of websites related to educational programmes.  Creating an account in Wikipedia/wikieducator/wikispaces and adding/editing content.  Creating an Account in Teacher tube/slideshare and sharing your video/powerpoint. View and comment on others contributions.  Use one of the Concept map tool (freemind, VUE)and write a report.  Use one of the E-book Tool(Sigil,caliber) for creating and editing books and report.  Preparation of CAI for classroom learning.
20. Simulation Practices: ( 2 Credits): The necessary organizational facilities, infrastructure be provided to the student-teachers. There can be group of ten students that can be attached to each teacher educators for guidance and submission of report and reflective session. Some of the tasks can also be given for completion in the group of two or three student teachers. a. Micro teaching: b. Video lesson observation and criticism: c. Skill Integration lesson presentation with peer group d. ICT mediated lesson with peer group e. Video recording lesson of peers in simulation classes f. Concept analysis and presentation on subject content
21. Video lesson Activity: Observation of video lessons: each student- teacher has to observe at least two video recorded lessons of experts and prepare observation notes. Format of observation has to be supplied by the teacher educator.  Group Practicum-video script: Developing, enacting, recording and uploading one video script based on a single theme. The task can be undertaken in groups with 3 to 5 members.
22. ICT will have activities that will equip the student to use computers, camera, and video camera. Audio recording, computer software, research and data analysis software, digital publication activities, web related activities and any other advances that are useful and related with empowering teachers and teacher educators.
23.  The list of activities to be done in the ICT lab shall as listed in the practicum list of the syllabus. There shall be two types of activities. set-A shall have following procedure (Individualized in lab work)  a. Orientation for 15 to 20 minutes.  b. Demonstration of the activity.  c. Presenting the details of the exercise by the student.  d. Exercise practice and output print if necessary.  e. Writing the details of the activity in the journal and submission for the tutor‘s signature.  Set-B shall have following procedure: (In lab with work presentation)  a. Orientation for 15 to 20 minutes.  b. Demonstration of the activity.  c. Presenting the details of the excursive by the student.  d. Working out the excessive and presenting the material to the small group for feedback and discussion
24. Some of the ICT mediated activities to be undertaken are: Basic Competencies: 1. Use of Word spread sheet and related office applications 2. Development of Power point presentation. 3. Nudi Kannada software keying 4. Web search and email use. 5. Video recording, audio editing and providing back ground voice adding 6. Using still camera for creating of picture files and use for teaching. 7. Use of graphic software. 8. Searching of open source material and use.
25. Activity Open Source Alternative Description Lecture Capture/ Podcasting Opencast Matterhorn  MediaSite  Panopto  Matterhorn provides an end-to- end solution from automated lecture capture through processing and distribution.  Videos can also be published to existing public platforms such as YouTube or iTunes.  Captioning, keyboard navigation and screen readers are well supported. Camstudio  Camtasia  Adobe Captivate  iSpring Presenter  Jing  SMART Notebook  CamStudio allows you to make a video of what’s happening on your screen. It will also capture audio from a microphone.  As well as capturing a lecture or presentation, it can be used to record a tutorial or walk through of a system.  Videos can be recorded to AVI, or to SWF for streaming via Flash.

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