आज से ठीक चार साल पहले 26 मई 2014 के दिन; कभी रेलवे स्टेशन पर दौड़-दौड़ कर चाय बेचने वाले श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के 14 वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. अपनी ईमानदार छवि, कर्मठता और देश के प्रति निष्ठा के बल पर माननीय प्रधानमंत्री जी ने विश्व भर में जो प्रसिद्धि हासिल की और भारतवर्ष का नाम रौशन किया है वह अपने आप में अतुलनीय है.
आज हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को चार वर्षों तक सफलता पूर्वक चलाने वाले भारत के यशस्वी प्रधानमन्त्री जी के 101 प्रेरक कथनों को संग्रह आपसे साझा कर रहे हैं. इन कथनों को हमने उनके Twitter account, मन की बात कार्यक्रम, और विभिन्न भाषणों से लिया है. तो आइये देखते हैं इन्हें.
नोट: समय कम हो तो सिर्फ
blockquotes में दिए गए कथनों को पढ़ें.
नरेन्द्र मोदी के अनमोल विचार
1. जज़्बा होना सबसे जरूरी है… मुझे बहुत ख़ुशी है कि आज सवा सौ करोड़ लोगों के मन में एक उमंग, आशा और संकल्प का भाव है और लोग मुझसे अपेक्षा कर रहे हैं।
2. अब अटकाने, लटकाने और भटकाने वाला काम नहीं होता, अब फाइलों को दबाने वाली संस्कृति खत्म कर दी गयी है। सरकार अपने हर मिशन, हर संकल्प को जनता के सहयोग से पूरा कर रही है।
3. भारत आँख झुकाकर या आँख उठाकर नहीं बल्कि आँख मिलाकर बात करने में विश्वास करता है।
4. मेरी पूंजी है- कठोर परिश्रम और सवा सौ लोगों का प्यार।
5. “तब और अब” में जमीन आसमान का अंतर क्योंकि जब नीति स्पष्ट हो, नीयत साफ़ हो और इरादे नेक हों तो उसी व्यवस्था के साथ आप इच्छित परिणाम ले सकते हैं।
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6. जिस पर संतोष का भाव पैदा हो जाता है, जीवन फिर आगे नहीं बढ़ता। हर आयु, हर युग, कुछ न कुछ नया पाने को गति देता है।
7. “आयुष्मान भारत” की सोच सिर्फ सेवा तक सीमित नहीं है बल्कि ये जनभागीदारी का एक आव्हान भी है ताकि हम स्वस्थ, समर्थ और संतुष्ट न्यू इंडिया का निर्माण कर सकें।
8. भारत की विकास गाथा तब तक पूरी नहीं होगी जब तक कि हमारे देश के पूर्वी भाग की प्रगति पश्चिमी भाग के बराबर न हो। उत्तर-पूर्व, भारत के विकास का नया इंजन बन सकता है।
9. बेटी बोझ नहीं, बेटी पूरे परिवार के आन-बान और शान होती है।
10. जब कोई व्यक्ति यह तय कर ले कि उसे कुछ हासिल करना है, तो उसे कोई भी रोक नहीं सकता। यह लोगों की शक्ति का प्रमाण है। देश का निर्माण सरकार या प्रशासन या कोई नेता नहीं करता है, देश का निर्माण इसके नागरिकों की ताकत से होता है।
13. समय का सदुपयोग किन किन चीजों में है ये बात हमें पता होनी चाहिए। एक ही टाइम टेबल 365 दिन काम नहीं आता। हमें समय का पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए।
14. आप खुद के साथ स्पर्धा कीजिए कि मैं जहाँ कल था उससे 2 कदम आगे बढ़ा क्या, अगर आपको ऐसा लगता है तो यही आपकी विजय है। कभी भी दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा मत कीजिए बल्कि खुद के साथ अनुस्पर्धा कीजिये।
15. आत्मविश्वास खुद को चुनौती देने और कड़ी मेहनत करने से ही आता है। हमें हमेशा अपने आप को बेहतर बनाने के बारे में सोचना चाहिए।
16. मैं सभी माता-पिता से अनुरोध करता हूँ कि वे अपने बच्चों की उपलब्धियों को सोशल स्टेटस न बनाएं। दूसरों बच्चों से अपने बच्चों की तुलना मत करें। आपके बच्चे के अन्दर जो सामर्थ्य है उसे पहचानिए। अंक और परीक्षा जीवन का आधार नहीं है।
17. खेल के लिए जो समर्पित लोग होते हैं वो पैसे और प्रसिद्धि के लिए नहीं खेलते उनके अन्दर एक जज़्बा होता है। जब अंतराष्ट्रीय खेल होते हैं और भारत का खिलाडी खेलता है तो वह जूझता है, पूरी तरह जी-जान से लगता है। लेकिन जैसे ही वह विजयी होता है उसकी पूरी शारीरिक भाषा बदल जाती है, सारी थकान दूर हो जाती है। जब वह खिलाड़ी हाथ में तिरंगा लेकर दौड़ता है – यह सारे हिन्दुस्तान में ऊर्जा और चेतना भर देता है।
18. खेल हमारे युवाओं के जीवन का एक अभिन्न अंग बनना चाहिए। खेल व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
19. अगर व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है। जन-आन्दोलन के माध्यम से बड़े से बड़े बदलाव लाये जा सकते हैं।
20. समाज के सभी लोगों को सही मायने में विकास का लाभ मिल सके इसके लिए जरूरी है कि हमारा समाज कुरीतियों से मुक्त हो। आइये हम सब मिलकर कुरीतियों को समाज से ख़त्म करने की प्रतिज्ञा लें और एक New India, एक सशक्त एवं समर्थ भारत का निर्माण करें।
21. जैसा पहले था, वैसा ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं..कुछ होने वाला नहीं है… इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं। व्यवस्थाओं में हो रहे सम्पूर्ण परिवर्तन का, एक irreversible change का परिणाम आपको हर एक सेक्टर में नजर आएगा।
22. एक बार भारत के लोग कुछ करने की ठान लें तो कुछ भी असम्भव नहीं है।
23. हमारी राष्ट्रीय भक्ति सभी बाधाओं से परे है। यह हमें भारत और विश्व में सभी भारतीयों की मदद करने के लिए प्रेरित करती है।
24. जैसे सरदार पटेल में देश का एकीकरण किया था वैसे ही देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाला काम GST के माध्यम से हुआ है। दशकों बाद One Nation- One Tax का सपना साकार हुआ है।
25. 21 वीं सदी में भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए, न्यू इंडिया बनाने के लिए हम सभी को संकल्प लेना होगा। संकल्प साथ मिलकर काम करने का, संकल्प एक-दुसरे को मजबूत करने का।
26. हमारा प्रयास है कि देश का हर व्यक्ति सशक्त हो। एक समावेशी समाज का निर्माण हो। ‘सम’ और ‘मम’ के भाव से समाज में समरसता बढ़े और सब एकसाथ मिलकर आगे बढ़ें।
27. आतंकवाद ने विश्व की मानवता को ललकारा है। आतंकवाद ने मानवता को चुनौती दी है। वो मानवीय शक्तियों को नष्ट करने पर तुला हुआ है और इसलिए सिर्फ भारत ही नहीं, विश्व की सभी मानवतावादी शक्तियों को एकजुट होकर आतंकवाद को पराजित करना ही होगा।
28. किसान, जिन्हें हम सम्मानपूर्वक अन्नदाता कहते हैं, खाद्य प्रसंस्करण में हमारे प्रयासों के केंद्र में हैं। हमने पांच वर्षों के भीतर कृषि से होने वाली आय को दुगुना करने का निश्चय किया है।
29. युवा आकांक्षाओं से परिपूर्ण भारत एक युवा राष्ट्र है। हमारे युवा, भारत और विश्व के लिए काफी कुछ कर सकते हैं।
30. डिजिटल इंडिया से पारदर्शिता आएगी, सेवाओं का आदान-प्रदान प्रभावी होगा और सुशासन की दिशा में कदम आगे बढ़ेंगे।
31. मैं वर्तमान की चिंता में देश के भविष्य को दाँव पर नहीं लगा सकता। हमारा उद्देश्य है – देश के गरीबों के जीवन में बदलाव आए और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
32. तब भारत छोड़ो का नारा था ….. आज भारत जोड़ो का नारा है।
33. हर भारतीय को इस बात का गर्व है कि भारत विविधताओं वाला देश है।
34. जब मैं एक विकसित भारत के बारे में सोचता हूँ, मैं एक स्वस्थ भारत, विशेष रूप से देश की महिलाओं और बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के बारे में सोचता हूँ।
35. खेल से टीम वर्क बढ़ता है। यह हममें दूसरों के योगदान को स्वीकार करने की भावना विकसित करता है। यह जरूरी है कि हम खेल को अपने देश के युवाओं के जीवन का एक अंग मानें।
36. भारत में हम एक ऐसा इको-सिस्टम तैयार कर रहे हैं जहाँ भारत के नौजवान ‘रोजगार’ तलाशने वाले (जॉब सीकर) नहीं बल्कि ‘रोजगार बनाने वाले’ (जॉब क्रियेटर) बनें।
37. जल हो, जमीन हो, जीव हो – उनका संरक्षण हमारा संकल्प होना चाहिए।
38. मुझे इस बात की भी चिंता सता रही है कि टेक्नोलॉजी दूरियां कम करने के लिए आई लेकिन उसका दुष्परिणाम ये हुआ कि एक ही घर में छः लोग एक ही कमरे में बैठे हैं लेकिन दूरियां इतनी है कि कल्पना नहीं कर सकते।
39. सत्याग्रह का उद्देश्य था – स्वतंत्रता और स्वछाग्रह का उद्देश्य है – स्वच्छ भारत का निर्माण।
40. जिन लोगों ने गरीबों को लुटा है, उन्हें गरीबों का हक़ वापस लौटाना होगा। देश में ‘ईमानदारी’ के युग की शुरुआत हो चुकी है।
41. हम परीक्षा को जीवन-मरण का सवाल बना लेते हैं, जबकि परीक्षा केवल आपके साल भर की पढाई की है। ये आपके जीवन की कसौटी नहीं है।
42. अगर आप तनाव में हैं, तो सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, बाहर का अन्दर नहीं जाता, अन्दर का बाहर नहीं आता है। विचार प्रक्रिया में ठहराव आ जाता है, वो अपने आप में एक बोझ बन जाता है।
43. हास्य दूरियां बनाता नहीं बल्कि दूरियों को मिटाता है। और देखा जाए तो आज हमें इसी चीज की आवश्यकता है। हमें लोगों, समुदायों और विभिन्न समाज को आपस में जोड़ने की आवश्यकता है।
44. भारत की शक्ति तीन D में निहित है : 1. डेमोक्रेसी, 2. डेमोग्राफी, 3. डिमांड
45. रेलवे देश को गति और प्रगति देता है।
46. हम पासपोर्ट का रंग नहीं देखते खून का रिश्ता देखते हैं।
47. आज हमारा उद्देश्य एक कुशल भारत बनाना है। भारत के युवा विश्वभर के युवाओं के साथ मुकाबला करने में सक्षम होने चाहिए।
48. मेरा उद्देश्य है- एक ही पीढ़ी में भारत को विकसित देश बनाना।
49. यदि भ्रष्टाचार और कालेधन की बुराई को पहले ही समाप्त कर दिया गया होता तो मुझे वो फैसला नहीं लेना पड़ता जो मैंने 8 नवम्बर 2016 को लिया।
50. हम एक ऐसे देश से सम्बन्ध रखते हैं जो केवल अपने हितों के बारे में सोचता है। हम एक स्वार्थी देश नहीं है। हम भविष्य की पीढ़ियों के बारे में सोचते हैं।
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